भारत में आरक्षण शब्द का हो रहा गलत प्रयोग ।

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पटना(बिहार):-   प्रतिनिधित्व (आरक्षण) भारत में “आरक्षण” शब्द का गलत प्रयोग हो रहा है क्योंकि संविधान में आरक्षण शब्द नहीं है इसका वास्तविक और संवैधानिक शब्द “प्रतिनिधित्व” है। देश में लोकतंत्र स्थापित करना है तो प्रतिनिधित्व देना होगा। संविधान सभा ने तय किया था कि देश के विकास में सबकी भागीदारी होनी चाहिए इसलिये “सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों” को प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया गया। सामाजिक पिछड़ापन अर्थात वह शोषित वर्ग या जातियां जो हजारों वर्षों से शोषण का शिकार रही हैं, उन्हें यह प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया गया।

भारत में आरक्षण शब्द राजनैतिक मुद्दों के कारण नकारात्मक सोच के रूप में तब्दील हो गया, जबकि यह वास्तविक रूप से प्रतिनिधित्व शब्द होना चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है, यह प्रतिनिधत्व का मामला है। 1882 में ज्योतिबा फुले ने हण्टर कमीशन के सामने जनसंख्या के अनुपात में पिछड़ों को प्रतिनिधित्व देने की मांग की थी। छत्रपति साहूजी महाराज ने अपने राज्य कोल्हापुर में 26 जुलाई 1902 को पिछड़े वर्ग की राज्य प्रशासन में हिस्सेदारी देने के लिये 50% आरक्षण आरम्भ किया था। कोल्हापुर राज्य में पिछड़े वर्गों/ समुदायों को नौकरी में आरक्षण देने के लिये अधिसूचना जारी की गयी थी। यह अधिसूचना भारत में पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिये आरक्षण उपलब्ध कराने वाला पहला सरकारी आदेश था। इसके बाद बाबासाहब डॉ0 अम्बेडकर ने प्रतिनिधित्व की मांग गोलमेज सम्मेलन में की थी जिस पर अंग्रेजों ने 16 अगस्त 1932 को अछूतों के लिए “कम्युनल अवार्ड” के अंतर्गत ‘पृथक निर्वाचन” का अधिकार दिया किन्तु मि0 गांधी ने आमरण अनशन किया जिस कारण 24 सितंबर1932 को “पूना पैेक्ट” हुआ और अछूतों को चार स्तर पर आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी। यह 1932 से लागू है। आज देश में 85% जनता को 49.5% प्रतिनिधत्व दिया गया है जो हजारों वर्षों से पिछड़े रहे हैं। देश में 4 प्रकार के आरक्षण (प्रतिनिधित्व) की व्यवस्था है …
1. शिक्षा में आरक्षण।
2. सरकारी नौकरियों में आरक्षण।
3. पदोन्नति में आरक्षण।
4. विधायिका में आरक्षण।
(नं० 4 का आरक्षण हर दशक पर अगामी दस साल के लिए बिना मांगे ही बढ़ा दिया जाता है, जो अब 25 जनवरी 2030 तक हो गया है।)*सत्य की खोज*
*Dr. B. R. आंबेडकर कानून मंत्री पद से इस्तीफा क्यों दिया?*
मुख्य चार कारण:-

*डा० बी.आर. अंबेडकर ने अनुच्छेद 340 में OBC आरक्षण के विषय मे लिखा उसकी सच्चाई और महत्वपूर्ण तथ्य..जानिए*

1:- *अनुच्छेद 341 के अनुसार शेड्यूल कास्ट [ एस. सी. ] को 15% प्रतिनिधित्व दिया….*

2:- अनुच्छेद 342 के अनुसार..
*शेड्यूल ट्राईब [ एस. टी. ] को 7.5% प्रतिनिधित्व दिया…*

3:- *और इन वर्गो का विचार करने से पहले डा. अंबेडकर ने सर्वप्रथम [ ओ. बी. सी.] अर्थात अन्य पिछड़ी जातियों का विचार किया… इसीलिये डा. बाबा साहब अंबेडकर ने अनुच्छेद 340 के अनुसार OBC को सर्वप्रथम प्राथमिकता दी….*

4:- *अनुच्छेद 340 के अनुसार OBC को 52% प्रतिनिधित्व देने का प्रावधान किया, उस समय लौह-पुरूष “सरदार पटेल” इसका विरोध करते हुए बोले…. “ये OBC कोन है”…???*

ऐसा प्रश्न सरदार पटेल स्वत: OBC होते हुए भी पूछा… !!!
क्युकि उस समय तक SC और ST मे शामिल जातियों की पहचान हो चुकी थी….और OBC में शामिल होने वाली जातियों की पहचान…. [जो आज *6500* से अधिक है] का कार्य पूर्ण नहीं हुआ था…….

*कोई भी “अनुच्छेद” लिखने के बाद.. डा० बाबा साहब अंबेडकर को उस “अनुच्छेद” को…प्रथम तीन लोगो को दिखाना पड़ता था…..*

1- पंडित नेहरू
2- राजेंद्र प्रसाद
3- सरदार पटेल

..इन तीनों की मंजूरी के बाद… उस अनुच्छेद का विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं थी…
*उस समय संविधान सभा में कुल 308 सदस्य होते थे, उसमें से 212 काँग्रेस के थे….*

अनुच्छेद 340, अनुच्छेद 341 और 342 के पहले है…

*सभी पिछड़ी जातियों को इस महत्वपूर्ण तथ्य पर ध्यान देना चाहिए.*

340 वां अनुच्छेद असल में क्या है… ???

*उस समय डा०बाबा साहब अंबेडकर ने 340 वां अनुच्छेद का प्रावधान किया और सरदार पटेल को दिखाया..*

*उस पर सरदार पटेल ने डॉ. बाबा साहबअंबेडकर से प्रश्न किया ये OBC कौन है…*
हम तो SC और ST को ही बैकवर्ड मानते हैं”…

ये OBC आपने कहा से लाये……???

*सरदार पटेल भी बॅरिस्टर थे, और वह स्वयं OBC होते हुए भी …उन्होंने OBC से संबधित अनुच्छेद 340 का विरोध किया…!!!*

किंतु इसके पीछे की बुद्धि.. सिर्फ गांधी और नेहरू की थी…

तब डा. भीम राव अंबेडकर ने सरदार पटेल से कहा
*”it’s all right Mr. Patel* मै आपकी बात संविधान मे डाल देता हूँ

*भारतीय संविधान*
“के अनुच्छेद 340 में सरदार पटेल के मुख से बोले गये वाक्य के अाधार पर … 340 वें अनुच्छेद के अनुसार …
*इस देश के राष्ट्रपति को OBC कौन है…?? “ये मालूम नहीं है”..और इनकी पहचान करने के लिए एक “आयोग गठित करने का आदेश दे रहे हैं “……*

*गांधी….. नेहरू…पटेल…. राजेंद्र प्रसाद और उनकी कांग्रेस की, OBC को प्रतिनिधित्व देने की इच्छा नहीं है…*

ये बाबासाहेब को दिखा देना था….

*परंतु 340 वें अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने OBC कौन है..*

पहचानने के लिए नहीं बनाया.!! इसलिए [ दिनांक 27 Sept 1951 को] बाबा साहेब ने *केन्द्रीय कानून मंत्री पद से इस्तीफा दिया..*

*मतलब OBC के कल्याण के लिए केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले पहले और अंतिम व्यक्ति डॉ बाबासाहेब आंबेडकर है…*
*परंतु आज भी यह घटना अपने OBC जाति के मित्रों को शायद मालूम नहीं है इस बात पर बहुत आश्चर्य और दुख होता है…. !!!!*

*भारत में आरक्षण के औचित्य पर जब बहस होती है तो कुछ मेरे आरक्षण विरोधी मित्र कहते हैं कि आरक्षण के कारण देश में*

*जातिवाद बढ़ रहा है*
*आजादी के पहले देश में आरक्षण नही था . क्या उस समय जातिगत भेदभाव नही था जिसके शिकार बाबा साहब अंबेडकर जैसे व्यक्ति भी हुए थे ?*

*अब बताईये कि जातिवाद के कारण आरक्षण आया है या आरक्षण के कारण जातिवाद ?*
*हकीकत तो यह है कि देश के 15% लोग शेष 85% लोगों के उपर शासन करने की मंशा रखते हैं*

*जो आज के जमाने में संभव नही है . आज यदि यह हो रहा है तो इसके पीछे 55%OBC की दोहरी निष्ठा है जो तय नही कर पा रहे हैं कि किसके साथ रहें.*
*अपर कास्ट उन्हे अपने बराबर स्थान नही देगा और [एस. सी. एस. टी. को ओ. बी. सी. अपने बराबर समझता] नही यही पेंच है*

*इसी पेंच के चलते इस देश पर 15% लोगों का शासनचल रहा है और हम मानने के लिए बाध्य हैं कि देश में बहुमत का शासन होता है।*