एक कहावत है जो कुशवाहा समाज के नेताओं पर फिट बैठता है ।

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बेगूसराय नगर से संपादित :- एक कहावत है कि हर चमकने बाली चीजें हीरा नहीं होती है । आज के इस आधुनिक दौर में यह कहावत कुशवाहा समाज के नेताओं पर फिट बैठता है क्योंकि कुशवाहा समाज के लोग काफी मेहनती होते हैं और अपने सरल स्वभाव के कारण पिछले बातों को तुरंत भूल जाते हैं और उम्मीद लगाते हैं कि पहले जो हुआ सो हुआ अब आगे इस प्रकार की घटना नहीं होनी चाहिए ।

इसी उम्मीद में लगे रहते हैं कि अब हमलोगों के लिए अच्छा होने बाला है । साल 2024 अंतिम पड़ाव पर है और 2025 के आगमन की घड़ी नजदीक आ रही है साल 2025 चुनावी साल है और अभी से कुशवाहा समाज के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हरेक राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव की शतरंजी विसात पर मोहरें बिछाने की तैयारी की जा रही है , ताकि 2025 में अपनी जीत का परचम लहराया जा सके । वहीं कुशवाहा समाज के लोगों को हरेक राजनीतिक दल के विचार और सिद्धांत हीरे जैसे चमकीला नजर आता है ।

कुशवाहा समाज के लोग यह नहीं समझ पाते हैं कि हर चमकने बाला चीज हीरा नहीं होता है और उनके लुभावने बाले नारों और व्यक्तिगत भावना में बह जाते हैं कि उनके साथ हो जाते हैं जबकि उन्हे हरेक चीजों को परखने की आज आवश्यकता है । उनके नीतियों सिद्धांतों को परखने की आवश्यकता है कि यह मेरे पक्ष में है या नहीं है । इसलिए श्री मनोज कुमार सिंह मानना है कि हरेक चमकने बाली चीजें हीरा नहीं होती है और हमें कुशवाहा की एकता को मजबूत बनाने के लिए अपनी राजनीतिक चेतना को जागरूक करने की आज आवश्यकता है , तो आइए हम सब मिलकर एक साथ आगे बढ़कर कुशवाहा की गरिमा को मजबूत बनाने के लिए प्रयास करना आरम्भ करें । यही नहीं श्री सिंह के अनुसार संकल्प लेने की आज जरूरत है ।