नई शिक्षा नीति: अब पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सीधे पीएचडी कर सकेंगे छात्र, एमफि​ल हुआ निरस्त

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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्रों को एमफिल नहीं करना होगा। एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है। नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्र ग्रेजुएशन,पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद सीधे पीएचडी करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है। इसी के साथ अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।

शिक्षा सचिव अमित खरे ने बताया नई शिक्षा नीति में छात्रों के लिए विभिन्न शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में मल्टिपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम होगा। पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और उसके साल बाद डिग्री दी जाएगी। नई शिक्षा नीति के मुताबिक यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम 2 वर्ष में ही छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा 1 वर्ष में सर्टिफिकेट और कोर्स पूरा करने पर डिग्री प्रदान की जाएगी।

लॉ और मेडीकल कॉलेजों को छोड़कर सभी संस्थानों में एक ही नियम 
नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया जा रहा है। कानून और चिकित्सा कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थान एक ही नियामक द्वारा संचालित होंगे। निजी और सार्वजनिक उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए साझा नियम होंगे। विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे

पांचवी तक मातृभाषा या स्थानीय भाषा का इस्तेमाल
पांचवी तक पढ़ाई के लिए मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि जीडीपी का छह फीसदी शिक्षा में लगाया जाए जो अभी 4.43 फीसदी है।

रिसर्च के प्रोजेक्ट्स को फाइनेंस किया जाएगा
केंद्रीय शिक्षा सचिव ने कहा कि अमेरिका की नेशनल साइंस फाउंडेशन की तर्ज पर भारत में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन लाया जाएगा। इसमें विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान भी शामिल होगा और शोध के बड़े प्रोजेक्ट्स की फाइनेंसिंग करेगा। ये शिक्षा के साथ रिसर्च में हमें आगे आने में मदद करेगा।

ग्रेजुएशन की डिग्री 3 या 4 साल में पूरी होगी 
नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे। स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी। एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा। 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा। गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा।

1986 में तैयार हुई थी वर्तमान शिक्षा नीति
बता दें कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी और इसे 1992 में संशोधित किया गया था। नई शिक्षा नीति का विषय भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। मसौदा तैयार करने वाले विशेषज्ञों ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर भी विचार किया। इस समिति का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तब किया था जब मंत्रालय का जिम्मा स्मृति ईरानी के पास था।
 

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