गढपुरा प्रखंड के रजौड़ पंचायत सहित सभी पंचायतों में मनाया गया मुहर्रम का महापर्व।।

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  • देश के विभिन्न हिस्सों में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मुहर्रम का महापर्व।
  • गढपुरा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में मनाया गया मुहर्रम पर्व।
  • रजौड़ पंचायत में भी मनाया गया मुहर्रम का पर्व।
  • इस्लाम धर्मानुसार मुहर्रम इस्लामिक कैलेण्डर का पहला महिना होता है।
मुहर्रम में तजिया का दृश्य।

रजौड़ पंचायत मदरसा के हाफ़िज़ मो० नईमुद्दीन का कहना है कि इस्लाम धर्म में मुहर्रम का महीना मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है जो कि वर्ष 2022 में 31 जुलाई से शुरू हुआ और उसके 10वें दिन रोज-ए-आशुरा मनाया जाएगा. इस साल रोज-ए-आशुरा मंगलवार, 09 अगस्त को है। शिया मुस्लिम मुहर्रम को गम का महीना मानते हैं। आज से करीब 1400 साल पहले कर्बला में इंसाफ की जंग हुई थी। इस जंग में पैगंबर हजरत मोहम्‍मद के नवासे इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। इस्लाम की रक्षा के लिए उन्होंने खुद को कुर्बान कर दिया था। यह घटना मुहर्रम के 10वें दिन यानी रोज-ए-आशुरा के दिन हुई थी. इसी कारण मुहर्रम की 10 तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं। इस दिन शिया समुदाय के लोग मातम मनाते हैं. मजलिस पढ़ते हैं और काले रंग के कपड़े पहनकर शोक व्यक्त करते हैं. इस दिन शिया समुदाय के लोग भूखे-प्यासे रहकर शोक व्यक्त करते हैं. ऐसा मानना है कि इमाम हुसैन और उनके काफिले के लोगों को भी भूखा रखा गया था और उन्हें इसी हालत में शहीद किया गया था. जबकि सुन्नी समुदाय के लोग रोजा-नमाज करके अपना दुख जाहिर करते हैं।

नमाज़ अदा करते सुन्नी समाज के मुस्लिम।

दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने तरीकों से मुहर्रम का पर्व मनाते हैं। रजौड़ पंचायत के सभी मुस्लिम बढ़चढ़ कर मनाएं मुहर्रम का पर्व।