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गढ़पुरा(बेगूसराय): भारत विविध प्रकार के धर्मों एवं एक धनी संस्कृति वाला देश है। यहां पर कई मान्यताओं और रीति-रिवाजों का बहुत लंबे समय से पालन हो रहा है। इनमें से कई रीतियां तो भारत में सामाजिक बुराइयों में तब्दील हो गयीं हैं। इन सामाजिक बुराइयों के चलते भारत की प्रगति लगातार गिरती जा रही है। इस समय देश की बुराइयों में लिंगभेद, जात-पांत, असमानता, गरीबी और बेरोजगारी अपने चरम पर है। समाजिक दुर्व्यवस्था के कारण ये ऐसी कुरीतियां देश में पैदा हो गयीं हैं जो देश की प्रगति में बहुत बड़ी बाधा हैं। आपको तस्वीरों के माध्यम से बताते हैं भारत की उन कुरीतियों के बारे में जो कि देश के विकास में बहुत बड़ी बाधा हैं।
दहेज का अर्थ है वह सम्पत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ़ से वर को दी जाती है। भारत में इसे दहेज, हुँडा या वर-दक्षिणा के नाम से भी जाना जाता है तथा वधू के परिवार द्वारा नक़द या वस्तुओं के रूप में यह वर के परिवार को वधू के साथ दिया जाता है। आज के आधुनिक समय में भी दहेज़ प्रथा नाम की बुराई हर जगह फैली हुई हँ। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज़ प्रथा अभी भी अपने विकराल रूप में है।
भारत में कन्या भ्रूणहत्या के वाहक अशिक्षित व निम्न व मध्यम वर्ग ही नहीं है बल्कि उच्च व शिक्षित समाज भी है। भारत के सबसे समृध्द राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और गुजरात में लिंगानुपात सबसे कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार एक हजार बालकों पर बालिकाओं की संख्या पंजाब में 893, हरियाणा में 877और गुजरात में 918 है।
ऊँच-नीच का भाव यह एक रोग है, जो समाज में धीरे धीरे पनपता है और सुसभ्य एवं सुसंस्कृत समाज की नींव को हिला देता है। परिणामस्वरूप मानव-समाज के समूल नष्ट होने की आशंका रहती है। आज संसार के प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह राजनीतिक हो अथवा आर्थिक, धार्मिक हो या सामाजिक, सभी जगहों पर छुआछूत या अस्पृश्यता के दर्शन किए जा सकते हैं।
भारतवर्ष में वैवाहिक संबंध के बाहर यौनसंबंध अच्छा नहीं समझा जाता है। वेश्यावृत्ति भी इसके अंतर्गत है। लेकिन दो वयस्कों के यौनसंबंध को, यदि वह जनशिष्टाचार के विपरीत न हो। भारत में वेश्यावृत्ति का उन्मूलन सरल नहीं है, पर ऐसे सभी संभव प्रयास किए जाने चाहिए जिससे इस व्यवसाय को प्रोत्साहन न मिले।
भारत में बालश्रम भी एक अभिशाप है। हालांकि इसके लिए भी उचित कानून बनाए गए हैं ताकि बच्चों का बचपन उनसे न छीना जा सके लेकेिन सरकारें उनके लिए उचित भोजन, शिक्षा और खेल संबंधी व्यवस्थाओं का पूरा प्रबंध नहीं कर पा रही हैं जिसके कारण इन नौनिहालों को अपनी भूख मिटाने के लिए काम करने के लिए विवश होना पड़ता है।
किसी भी महिला के साथ घर की चारदिवारी के अंदर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा, मारपीट, उत्पीड़न आदि के मामले इसी कानून के तहत आते हैं। महिला को ताने देना, गाली देना, उसका अपमान करना, जबरन शादी के लिए बाध्य करना आदि जैसे मामले भी घरेलू हिंसा के दायरे में आते हैं। पत्नी को नौकरी छोडऩे के लिए मजबूर करना, दहेज की मांग के लिए मारपीट करना आदि भी इसके तहत आ सकते हैं।
हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या कोढ़ में खाज की तरह काफी तीव्र गति से बढ़ती जा रही है जिसके कारण आए दिन हमारे समाज में अनेक प्रकार के वारदात देखने को मिलते हैं कभी किसी माइक्रो फाइनेंस वालों का पैसा छीना जाता है तो कभी बैंक में दिनदहाड़े डाका डाला जाता है, तो कभी बस या ट्रेन में किसी का जेब काट लिया जाता है या पर्स चुरा लिया जाता है।इसका मुख्य कारण है रोजगारों का अभाव होना।