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गढ़पुरा(बेगूसराय): प्रकृति अपना रूप जिस तरह से बदलते जा रहे हैं यह किसी को पता नहीं चल पाता है कि कब क्या होने वाला है । वर्तमान समय में जो बदलाव देखने को मिल रही है यह प्रकृति का बहुरूपिया होने का प्रतीक है । अमूमन अभी के समय में सुबह को काफी ठंड जैसा मौसम रहता है लेकिन ज्यों-ज्यों दिन ढलते हैं त्यों-त्यों सूर्य अपना प्रचंड रूप दिखाते जाते हैं और धूप अपने चरमोत्कर्ष तक पहुंच जाता है । जिसके कारण प्रकृति में अनेक विसंगतियां देखने को मिल रही है । दिनों-दिन अप्रैल के महीना में गर्मी तथा उमस बढ़ते जा रहे हैं।
प्रकृति के इस बदलते स्वरूप के कारण आम-आवाम व बच्चे तेजी से बीमार पड़ रहे हैं । आए दिन किसी को बुखार , किसी को सर्दी-खांसी तो किसी को उल्टी-दस्त जैसे बीमारी बड़ी आसानी से होते जा रहे हैं ।
बताते चलें कि मौसम के बदलते स्वरूप के कारण किसान व पशु पक्षी सभी त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं।
बिहार के किसान जहां अपने खेतों को लेकर चिंतित हैं वहीं पशु-पक्षी भी अपने जान बचाने के लिए व्याकुल रहते हैं । मौसम के इस बदलाव ने प्रकृति के समस्त जीव समुदाय के दैनिक क्रियाकलाप को काफी प्रभावित कर दिया है ।
अब सभी नजर लगाए हैं कि बिहार तथा केंद्र सरकार इस बदलते मौसम के प्रति क्या सोच रहे हैं । मौसम के इस बदलाव के कारण खासकर के ग्रामीण इलाकों में लगभग 70-80% बच्चे बीमार पड़ रहे हैं वहीं 50-60% युवा और बुजुर्ग भी बीमार पड़ रहे हैं । मौसम के इस बदलाव ने सिर्फ मानव जीवन को ही नहीं बल्कि कृषि कार्य व पशु-पक्षियों के जीवन को भी प्रभावित किया है।